राज्यपाल से भिड़े सीएम स्टालिन, कहा- मंत्रियों को बर्खास्त करने का राज्यपाल को अधिकार नहीं
तमिलनाडु के राज्य मंत्री वी सेंथिल बालाजी के मामले पर राज्यपाल ने पहले उन्हें बर्खास्त किया, फिर फैसले पर रोक लगाई। मामले पर बवाल मच गया है।
चेन्नई, जनजागरुकता डेस्क। तमिलनाडु के राज्य मंत्री वी सेंथिल बालाजी को पद से हटाने के राज्यपाल आरएन रवि के फैसले पर बवाल मच गया है। हालांकि कुछ घंटे बाद इस फैसले को रोक दिया गया। लेकिन राज्यपाल के इस फैसले को लेकर सीएम एमके स्टालिन ने कड़ी नाराजगी जताते हुए बकायदा पत्र लिखकर पूछा कि "किस पावर से आपने मेरे मंत्री को बर्खास्त किया। "इस तरह सीएम स्टालिन और राज्यपाल के बीच तनातनी बढ़ गई है। गुरुवार को राज्यपाल रवि ने बालाजी को उनके पद से बर्खास्त करने का आदेश दिया था।
सीएम स्टालिन ने लिखा राज्यपाल को चिट्ठी
सीएम स्टालिन ने राज्यपाल को चिट्ठी में लिखा- "मुझे आपका पत्र 29 जून को शाम 7 बजे मिला है, जिसमें कहा गया है कि ‘थिरु वी सेंथिल बालाजी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जा रहा है। इसके बाद दूसरा पत्र रात पौने 12 बजे मिला है, जिसमें आदेश को वापस ले लिया गया।" सीएम ने कहा, "मैं इसलिए पत्र लिख रहा हूं, ताकि राज्यपाल को इस मसले पर तथ्य और कानून दोनों स्पष्ट रूप से समझाए जा सकें।"
मंत्रियों को बर्खास्त करने की राज्यपाल को अधिकार नहीं
एमके स्टालिन ने कहा कि राज्यपाल के पास मंत्रियों को बर्खास्त करने की कोई शक्ति नहीं है। ऐसा करना एक निर्वाचित मुख्यमंत्री का एकमात्र विशेषाधिकार है। सेंथिल बालाजी जॉब के बदले पैसे लेने और मनी लॉन्ड्रिंग सहित भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं। इन्हीं मामले के चलते वे जेल में बंद हैं।
राज्यपाल ने निर्णय लेने से पहले कानूनी राय भी नहीं ली
मुख्यमंत्री का कहना है कि बर्खास्तगी का पत्र जारी करने के कुछ घंटों के बाद ही अटॉर्नी जनरल की राय लेने के लिए फैसले को वापस ले लिया गया। इससे पता चलता है कि राज्यपाल ने इतना बड़ा निर्णय लेने से पहले कानूनी राय भी नहीं ली। सीएम स्टालिन ने कहा कि अदालत की संवैधानिक पीठ ने यह तय करने के लिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के विवेक पर छोड़ दिया था कि संबंधित व्यक्ति मंत्रिमंडल में रहेगा या नहीं।