कश्मीर मामले पर विदेश मंत्री के बयान पर पलटी खाई जर्मनी ने, राजदूत बोले- मुद्दा दोनों देशों के बीच का मसला है
भारत में जर्मनी के राजदूत फिलिप एकरमैन ने कहा- कश्मीर मसले पर विश्व निकाय की बहुत सीमित भूमिका।
नई दिल्ली, जनजागरुकता डेस्क। कश्मीर मामले पर जर्मनी ने फिर एक बार अपना रुख बदलते हुए सकारात्मक संकेत दिए हैं। भारत में जर्मनी के राजदूत फिलिप एकरमैन ने अपने विदेश मंत्री के बयान का खंडन करते हुए माना कि कश्मीर का मुद्दा दोनों देशों के बीच का मसला है। भारत में जर्मनी के राजदूत फिलिप एकरमैन ने अपनी विदेश मंत्री एनालेना बेरबॉक के बयान का खंडन करते हुए माना कि कश्मीर का मुद्दा दो देशों के बीच का मसला है। इस मामले में विश्व निकाय की बहुत सीमित भूमिका है।
एकरमैन ने कहा कि कश्मीर मसले पर जर्मनी के रुख में कोई बदलाव नहीं हुआ है। दरअसल पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर की स्थिति में संयुक्त राष्ट्र की भागीदारी की वकालत और पाकिस्तान की हां में हां मिलाना जर्मनी को को भारी पड़ गया। नतीजा यह हुआ कि उसे कुछ ही दिनों में बयान से पलटना पड़ा है।
एकरमैन ने कहा कि हम अभी भी मानते हैं कि इस मामले को दोनों देशों को आपस में सुलझाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी मंत्री ने भी अपने बयान में रेखांकित किया था कि द्विपक्षीय मार्ग आगे का रास्ता है, पड़ोसी से सीधी बातचीत आगे का रास्ता है लेकिन मंत्री द्वारा कश्मीर के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाने वाले बयान को गलत तरीके से पेश किया गया। इस बयान को समझने में भूल हुई। जर्मन विदेश मंत्री की टिप्पणी पर समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए एकरमैन ने कहा कि सबसे पहले मुझे यह कहना होगा कि हम भारतीय पक्ष और भारतीय मीडिया की प्रतिक्रियाओं से काफी हैरान हैं। भारत के लोगों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। मैं अपने मंत्री के शब्दों पर नहीं जाना चाहता हूं लेकिन मैं आपसे कहना चाहता हूं कि कश्मीर पर जर्मनी की स्थिति नहीं बदली है।
जर्मनी विदेश मंत्री एनालेना बेरबॉक ने यह कहा था
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों जर्मनी विदेश मंत्री एनालेना बेरबॉक ने यूनाइटेड नेशंस से मांग कर डाली थी कि वह इस क्षेत्र का शांतिपूर्ण हल तलाशने की कोशिश करे। दरअसल उन्होंने कश्मीर को लेकर अपने पाकिस्तानी समकक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी का समर्थन किया था। एनालेना ने कहा था कि यह जर्मनी की जिम्मेदारी है कि वह कश्मीर की स्थिति पर ध्यान दे।
भारत ने जताई थी सख्त आपत्ति
भारत की तरफ से जर्मनी को बता दिया था कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की जिम्मेदारी आतंकवाद खासतौर पर सीमा पार से जारी आतंकवाद पर बनती है। भारत ने जर्मनी के विदेश मंत्री के कश्मीर पर दिए बयान को सिरे से खारिज कर सख्त आपत्ति जताई थी।
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