हमारे इंजीनियर हो रहे हैं कमजोर साबित.. मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना में जापान करेगा मदद
बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में देरी को देखते हुए रेलवे जापान से मदद ले रहा है। जापान की रेलवे टेक्निकल टीम 1000 भारतीय इंजीनियरों को ट्रेनिंग दे रही है।
नई दिल्ली, जनजागरुकता डेस्क। मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना रफ्तार नहीं पकड़ पा रही है। इससे केंद्र व रेलवे खासे परेशान हैं। ऐसे में इस मामले पर नई टेक्नालॉजी से लबरेज जापान की मदद का निर्णय लिया गया है। इसके तहत भारतीय इंजीनियरों को ट्रेनिग दी जा रही है।
जी हां.. देश के विकास में सहायक भारत की पहली मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल, बुलेट ट्रेन की परियोजना को पूरा कराने में हमारे इंजीनियर कमजोर साबित हो रहे हैं। 31 मार्च तक इस पर केवल 30.15 प्रतिशत काम हो पाया है।
ऐसे में जापान 1000 भारतीय इंजीनियरों को ट्रेनिंग के जरिए इस परियोजना की बारीकियां बताएंगे। वहां की रेलवे टेक्निकल सर्विसेज इसमें मदद कर रहा है। ये भारतीय इंजीनियर्स के लिए जापानी हाई स्पीड रेल ट्रैक स्लैब सिस्टम तकनीक सीखने का एक सुनहरा अवसर भी है।
लागत लगभग 1 लाख 8000 करोड़
बता दें कि भारत की पहली मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 1 लाख 8000 करोड़ रुपए है, जिसे अगस्त 2026 तक सूरत-बिलिमोरा की 63 किलोमीटर के बीच ट्रायल रन के लिए लक्षित किया गया है। इसके तहत जापानी कंपनी 15 अलग-अलग ट्रैकों पर काम कर रही है।
जापान की 20 स्पेशलिस्ट की टीम पहुंची
जापान रेलवे टेक्निकल सर्विसेज के 20 स्पेशलिस्टों की एक टीम मुंबई-अहमदाबाद HSR कॉरिडोर के T-2 237 किमी वापी-वडोदरा पैकेज के लिए 1000 भारतीय इंजीनियरों और तकनीशियनों को हाई-स्पीड रेल ट्रैक बिछाने की ट्रेनिंग दे रही है।
बुलेट ट्रेन परियोजना की रफ्तार धीमी
इस प्रोजेक्ट के लिए जापान की रेलवे टेक्निकल सर्विसेज मदद कर रही है। लेकिन अभी तक आंकड़ों के अनुसार, 31 मार्च तक इस पर केवल 30.15 प्रतिशत काम हुआ है। गुजरात की ओर 35.23 प्रतिशत काम हो चुका है, जबकि महाराष्ट्र की ओर तस्वीर निराशाजनक है। अभी मात्र 19.65 प्रतिशत काम हुआ है।
1000 भारतीय इंजीनियरों को ट्रेनिंग
जापान रेलवे टेक्निकल सर्विसेज के 20 स्पेशलिस्टों की एक टीम मुंबई-अहमदाबाद एचएसआर कॉरिडोर के T-2 237 किमी वापी-वडोदरा पैकेज के लिए 1000 भारतीय इंजीनियरों और तकनीशियनों को हाई-स्पीड रेल ट्रैक बिछाने का ट्रेनिंग दे रही है। जापानी कंपनी 15 अलग-अलग ट्रैकों पर काम कर रही है।
ट्रैक पर केवल ट्रेंड इंजीनियर ही काम करेंगे
जापान की कंपनी बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के तहत लंबे समय तक ट्रैक को काम करने लायक बनाने के लिए बिना गिट्टी की स्लैब ट्रैक बनाने के टेक्नोलॉजी पर काम कर रही है। ट्रैक को बनाने के लिए जापानी अधिकारियों ने कहा कि केवल ट्रेंड और सर्टिफाइड इंजीनियर/तकनीशियन ही ट्रैक बनाने की जगह पर काम करेंगे।
एचएसआर टेक्नोलॉजी सिस्टम से बनेगी ट्रैक
जापान रेलवे टेक्निकल सर्विसेज शिंकानसेन एचएसआर टेक्नोलॉजी को ट्रांसफर करने में भी मदद करेंगे। रेलवे ट्रैक एचएसआर टेक्नोलॉजी सिस्टम से ही बनाई जा सकती है। इसको बनाने के लिए हाई लेवल के साथ-साथ सटीकता भी जरूरी है, जो शिंकानसेन ही देने में मदद करेगी।
स्लैब सिस्टम सीखने का सुनहरा अवसर
एनएचसीआरसीएल के प्रबंध निदेशक राजेंद्र प्रसाद ने जापानी कंपनी के तरफ से ट्रेनिंग देने के बात पर कहा कि ये भारतीय इंजीनियरों और तकनीशियनों के लिए जापानी हाई स्पीड रेल ट्रैक स्लैब सिस्टम तकनीक सीखने का एक सुनहरा अवसर है।