सांसें चल रही थी, जिंदा बच्ची को डॉक्टरों ने बता दिया मृत..

परिजनों ने दफन करने कफन मंगाया था, इसी दौरान बच्ची के शरीर में हलचल हुई। उसके बाद अस्पताल में हंगामा मच गया।

सांसें चल रही थी, जिंदा बच्ची को डॉक्टरों ने बता दिया मृत..

रायपुर, जनजागरुकता। कभी-कभी ऐसी स्थिति सामने आती है कि कुछ सुझता नहीं। जो सामने वाला जिम्मेदार बोल दे हम वही मान लेते हैं। पर कई बार एक्सपर्ट की कही गई बात भी गलत साबित हो जाती है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है। धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर से ऐसी ही एक गलती हो गई। मामले के अनुसार छत्तीसगढ़ के रायपुर में यह घटना घटी है। 

एक निजी अपताल में एक जिंदा नवजात शिशु को मृत घोषित कर दिया गया। मामले का खुलासा तब हुआ, जब मृत मानकर बच्ची के लिए कफन मंगवाया जा रहा था। इसी समय बच्ची के शरीर में हरकत हुई। ध्यान से देखा गया तो बच्ची जिंदी थी। इसे परिजनों ने लापरवाही कहा और डॉक्टरों पर नाराज हो गए। फिर बच्ची के परिजनों ने अस्पताल में हंगामा कर दिया। पूरा मामला रायपुर के बैरनबाजार स्थित सांई सुश्रुषा अस्पताल का है।

जानकारी अनुसार मंगलवार की सुबह दो जुड़वां बच्चियां पैदा हुई थी। बच्चियों को अस्पताल प्रबंधन ने मृत बताया, लेकिन इनमें से एक बच्ची के शरीर में पैकिंग के समय हलचल देखी गई। मामले में सांई सुश्रुषा हॉस्पिटल में समता कॉलोनी निवासी अंजनी सारस्वत ने अपनी पत्नी को डिलीवरी के लिए भर्ती कराया था। मंगलवार को तड़के करीब 3 बजे पत्नी ने जुड़वां बच्चियों को जन्म दिया।

मां को बताया बच्चियों की मौत हो गई

उसके बाद चिकित्सकों ने अंजनी सारस्वत को बताया कि प्री-मैच्योर डिलीवरी के दौरान एक बच्ची की मौत हो चुकी है, वहीं दूसरी बच्ची भी अपनी अंतिम सांसें गिन रही है। थोड़ी देर के बाद डॉक्टर्स ने दूसरी बच्ची को भी मृत घोषित कर दिया। जुड़वां बच्चियों की मौत की खबर सुनकर अंजनी सारस्वत के रिश्तेदार और परिजन भी अस्पताल पहुंच गए।

पैकिंग के दौरान बच्ची के शरीर में हलचल हुई

अस्पताल प्रबंधन ने बच्चियों को मृत बताते हुए शवों को लपेटने के लिए कपड़ा लाने कहा। पिता पिता ने बच्चियों को दफनाने कपड़ा लेकर अस्पताल पहुंचे। जहां बच्चियों के शव को पैकिंग किया जा रहा था। इसी दौरान एक बच्ची के शरीर में हलचल हुई। जिसके बाद परिजनों ने इसकी सूचना डॉक्टर को दी, लेकिन उन्होंने इस ओर ध्यान नहीं दिया।

परिजनों ने दबाव बनाया तब बच्ची की जांच में पहुंचे

जब परिजनों ने बहुत देर तक प्रर्थना की, दबाव बनाया तो डॉक्टरों ने बच्ची की जांच की तो वह जिंदा थी। इस बात का पता चलते ही परिजनों ने हॉस्पिटल में हंगामा शुरू कर दिया। उन्होंने अस्पताल की डॉक्टर मोनिका पाठक पर लापरवाही का आरोप लगाया। परिजनों के हंगामे के बाद जिंदा बच्ची को आईसीयू में भर्ती कराया गया और मृत बच्ची का शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। इधर, मामले की सूचना मिलने पर पुलिस अस्पताल पहुंची और परिजनों को समझा-बुझाकर शांत कराया। परिजनों ने इस मामले में आरोपी डॉक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है।

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