अंग्रेजी शासन के समय का कानून बदलने संसद में बिल पेश, देशद्रोह कानून होगा खत्म
गृहमंत्री अमित शाह ने तीन विधेयक एक साथ पेश किए। ऐसा कर पीएम मोदी के पांच प्रणों में से एक को पूरा करने वाले हैं। इन कानूनों के बदले सरकार नया कानून लाएगी।
नई दिल्ली, जनजागरुकता डेस्क। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अंग्रेजों के समय से चले आ रहे 3 अहम कानूनों को पूरी तरह से बदल दिया। गृहमंत्री ने मानसून सत्र के आखिरी दिन लोकसभा में आज भारतीय दंड संहिता, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को बदलने के लिए तीन विधेयक पेश किया। इसके साथ ही Crpc में संशोधन होते ही देशद्रोह कानून खत्म हो जाएगा।
इन विधेयकों को पेश करते हुए शाह ने कहा कि ये तीनों कानून अंग्रेजों के द्वारा अपने फायदे के लिए बनाए गए थे। इसका देश में गलत तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा था। हमारी सरकार इन कानूनों को बदलने जा रही है। इन कानूनों के बदले सरकार नए कानून ला रही हैं। इसके साथ ही Crpc में संशोधन होते ही देशद्रोह कानून खत्म हो जाएगा। 'तीनों कानूनों को रिप्लेस कर इनकी जगह तीन नए कानून जो बनेंगे, उनकी भावना होगी भारतीयों को अधिकार देने की। इन कानूनों का उद्देश्य किसी को दंड देना नहीं होगा।'
तीन विधेयक में एक है इंडियन पीनल कोड
जानकारी लोकसभा में देते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि 'आज मैं जो तीन विधेयक एक साथ लेकर आया हूं, वे सभी पीएम मोदी के पांच प्रणों में से एक को पूरा करने वाले हैं। इन तीन विधेयक में एक है इंडियन पीनल कोड, एक है क्रिमिनल प्रोसीजर कोड, तीसरा है इंडियन एविडेंस कोड। इंडियन पीनल कोड 1860 की जगह, अब 'भारतीय न्याय संहिता 2023' होगा। क्रिमिनल प्रोसीजर कोड की जगह 'भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023' प्रस्थापित होगा। और इंडियन एविडेंट एक्ट, 1872 की जगह 'भारतीय साक्ष्य अधिनियम' प्रस्थापित होगा।'
जनता ने भी इन विधेयकों को लेकर सुझाव दिए
अमित शाह ने कहा कि '18 राज्यों, छह केंद्र शासित प्रदेशों, भारत की सुप्रीम कोर्ट, 22 हाईकोर्ट, न्यायिक संस्थाओं, 142 सांसद और 270 विधायकों के अलावा जनता ने भी इन विधेयकों को लेकर सुझाव दिए हैं। चार साल तक इस पर काफी चर्चा हुई है। हमने इस पर 158 बैठकें की हैं।
भगोड़ों को सजा देने देश में ही चलेगा केस
दाऊद इब्राहिम काफी समय से भगोड़ा है। अब हमने तय किया है कि सत्र न्यायालय के जज किसी व्यक्ति की अनुपस्थिति में भी केस चला सकती है और फैसला सुना सकती है फिर चाहे वह दुनिया के किसी भी कोने में हो। उसे सजा से बचना हो तो भारत आए और केस लड़े।