फर्जी प्रमाण पत्र का मामला- अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के युवाओं का नग्न प्रदर्शन

फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करने वालों को हटाने की मांग को लेकर विधानसभा मार्ग पर प्रदर्शन किया गया। आंदोलनकारियों ने कहा सैकड़ों लोग नौकरी कर रहे हैं। जांच के बाद पाए गए 267 प्रकरण फर्जी हैं, पर कार्रवाई नहीं की जा रही है।

फर्जी प्रमाण पत्र का मामला- अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के युवाओं का नग्न प्रदर्शन

रायपुर, जनजागरुकता। फर्जी जाति मामले में कार्यवाही की मांग को लेकर अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के युवाओं ने नग्न प्रदर्शन किया। विधानसभा का घेराव करने निकले युवाओं ने वर्तमान में विस सत्र के दौरान वीआईपी क्षेत्र है, ऐसे में भीड़-भाड़ वाले इस मार्ग पर नग्न प्रदर्शन करते हुए दौड़ लगाते रहे। सबसे बड़ी बात यह है कि प्रदर्शनकारी युवा नारे लगाते हुए वीआईपी गाड़ियों के आगे-आगे चल रहे थे। 

यहां आश्चर्य तब हुआ वीआईपी क्षेत्र जोन के बाद भी पुलिस प्रशासन सोती रही। इस प्रदर्शन की सूचना पुलिस को पहले से थी, फिर भी कोई कदम नहीं उठाना समझ से परे है। हांलाकि बाद में पुलिस ने इन युवाओं को गिरफ्तार कर थाने ले गई। 

नग्न प्रदर्शन एलान के बाद भी पुलिस का उदासीन रवैय्या

फर्जी जाति के आधार पर वर्षों से नौकरी करने वालों के खिलाफ लंबे समय से अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के युवाओं ने मोर्चा खोल रखा। पिछले दिनों इसी मुद्दे को लेकर आमरण अनशन पर बैठे थे। प्रदर्शन के दौरान आंदोलनकारी की तबीयत बिगड़ गई। लेकिन सरकार और प्रशासन का रवैया उदासीन रहा। आंदोलनकारियों ने आमरण अनशन को स्थगित कर आगामी होने वाले मानसून विधानसभा सत्र में निर्वस्त्र होकर प्रदर्शन करने का एलान किया था।

ऐसी घटना प्रदेश लिए दुर्भाग्यपूर्ण

इसी के चलते मंगलवार को विधानसभा सत्र के पहले दिन अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के युवाओं ने नग्न अवस्था में विधानसभा घेराव करने निकले। विधानसभा रोड पर 20-25 युवाओं को नग्न अवस्था में दौड़ते देख लोग तरह-तरह की बात करने लगे। इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए लोगों ने कहा यह प्रदेश लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।

हटाने के थे आदेश, पर भी आदेश का पालन नहीं किया

अभी छत्तीसगढ़ में इन दिनों फर्जी जाति का मामला गर्माया हुआ है। बता दें, छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से राज्य के विभिन्न विभागों को शिकायतें मिली थी कि, गैर आरक्षित वर्ग के लोग आरक्षित वर्ग के कोटे का शासकीय नौकरियों एवं राजनीतिक क्षेत्रों में लाभ उठा रहे हैं। इस मामले की गंम्भीरता से देखते हुए राज्य सरकार ने उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति गठित की थी, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर सामान्य प्रशासन विभाग ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी कर रहे अधिकारी, कर्मचारियों को महत्वपूर्ण पदों से तत्काल हटाकर उन्हे बर्खास्त करने के आदेश जारी किए थे। लेकिन सरकारी आदेश का पालन नहीं किया गया।

प्रमोशन लेकर मलाईदार पदों पर दे रहे सेवा

फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी करने वाले कुछ सेवानिवृत हो गए, तो कुछ ने जांच समिति की रिपोर्ट कों न्यायालय में चुनौती दी, लेकिन सामान्य प्रशासन की ओर से जारी फर्जी प्रमाण पत्र धारकों की लिस्ट में ऐसे अधिकांश लोग हैं जो सरकारी फरमान का पालन नहीं होने का मौज काट रहे हैं और प्रमोशन लेकर मलाईदार पदों पर सेवाए दें रहे हैं।

जांच के बाद पाए गए 267 प्रकरण फर्जी, फिर भी कार्रवाई नहीं

छत्तीसगढ़ सरकार ने मामले को गंम्भीरता से लेते हुए फर्जी जाति प्रमाण पत्र की शिकायतों की जांच करने उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति का गठन किया। समिति को वर्ष 2000 से लेकर 2020 तक के कुल 758 प्रकरण मिले जिसमें से 659 प्रकरणों में जांच की गई। इसमें  267 प्रकरणों में जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाये गए। लेकिन आज भी लोग नौकरी कर रहे हैं। आखिर सरकार इन लोगों को हटाना क्यों नहीं चाहती।

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