चातुर्मास.. जल्दी कर लें मांगलिक काम, उसके बाद 5 महीने करना पड़ेगा इंतजार
चातुर्मास में शुभ काम करने की मनाही होती है। जैसे शादी-विवाह, मुंडन-जनेऊ, गृह-निर्माण, गृह-प्रवेश, नया वाहन खरीदी, नई प्रॉपर्टी खरीदी, नया व्यापार या नया काम शुरू करने जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते।
जीवन मंत्र.. मानें चाहे न मानें..
जनजागरुकता, धर्म-कर्म डेस्क। सनातन धर्म में हर दिन, सप्ताह, माह और वर्ष का अपना महत्व है। मानव जीवन का क्रियाकलाप धर्म और कर्म के साथ अनुशासन से जुड़ा हुआ है। इसी तरह धार्मिक, मांगलिक, पारिवारिक कार्य शुभ समय, मुहूर्तों के अनुसार चलते हैं जिससे जीवन सुखमय हो। इसी के तहत पंचांग के अनुसार चातुर्मास व्रत आता है। इस दौरान चार महीने के समय में कोई भी मांगलिक काम नहीं किए जाते।
यह चातुर्मास आषाढ़ महीने में देवशयनी एकादशी के अगले दिन से शुरू होता है और कार्तिक महीने में देवोत्थान एकादशी पर समाप्त होता है। इस बार चातुर्मास 2023 तिथियां 30 जून से है, जो 23 नवंबर को समाप्त होगा। हिंदू धर्म में इसका बड़ा महत्व है। ये महीने प्रार्थना, अनुष्ठान और पूजा के लिए समर्पित है। वहीं विवाह, गृहप्रवेश और अन्य मांगलिक काम नहीं किए जाते हैं।
इस दिन से शुरू होगा चातुर्मास
चातुर्मास आषाढ़ महीने में शुक्ल पक्ष में एकादशी के दिन शुरू होता है और कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष में एकादशी पर समाप्त होता है। चातुर्मास में शुभ कार्य करने पर प्रतिबंध रहता है। इस बार सावन महीने में अधिक मास लगने के कारण सावन 59 दिनों का होगा। इस तरह सावन सोमवार भी 4 की जगह 8 होंगे। 5 महीने के लंबे चातुर्मास के कारण लोगों को मांगलिक काम के लिए भी 5 महीने इंतजार करना पड़ेगा।
इन कामों पर विराम
पंचांग के अनुसार चातुर्मास में शुभ काम करने की मनाही होती है। जैसे शादी-विवाह, मुंडन-जनेऊ, गृह-निर्माण, गृह-प्रवेश, नया वाहन खरीदी, नई प्रॉपर्टी खरीदी, नया व्यापार या नया काम शुरू करने जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते।
ये काम करना चातुर्मास में शुभ
धर्म ग्रंथों के अनुसार माना जाता है कि चातुर्मास में थाली में भोजन ना करके पत्तल में भोजन करना शुभ माना गया है। इस मास में भूमि पर सोना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इससे भगवान की कृपा प्राप्त होती है। चातुर्मास के दौरान तुलसी की पूजा करनी चाहिए। शाम के समय तुलसी के नीचे घी का दीया जलाना भी शुभ माना जाता है।
इन चीजों के उपयोग पर प्रतिबंध के साथ ..ये काम न करें
पंचांग व धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चातुर्मास के दौरान तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से अशुभ फल मिलता है। चातुर्मास में भगवान विष्णु की उपासना अत्यधिक फलदायी होती है। श्रीहरि की उपासना करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। इस दौरान झूठ नहीं बोलना चाहिए। किसी से लड़ाई-झगड़े से दूर रहना चाहिए। नहीं तो भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त नहीं होती। चातुर्मास के दौरान तेल, बैंगन, साग, शहद, मूली, परवल, गुड़ इत्यादि खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।