सावन विशेष.. जानें भगवान शिव के तांडव के प्रकार..

कहा जाता है भगवान शिव सबसे प्रसन्न होते हैं। गंगा जल से अभिषेक करने पर, मगर उससे भी 100 गुना अधिक प्रसन्न होते हैं नृत्य से। भगवान भोलेनाथ नृत्य के देवता हैं, इसलिए उनको नटराज भी कहा जाता है। आइए जानते हैं तांडव नृत्य के प्रकार..

सावन विशेष.. जानें भगवान शिव के तांडव के प्रकार..

जीवन मंत्र.. मानें चाहे न मानें..

जनजागरुकता, धर्म डेस्क। आदि देव भोलेनाथ का अत्यंत प्रिय माह है सावन। कहा जाता है भगवान शिव सबसे प्रसन्न होते हैं। गंगा जल से अभिषेक करने पर, मगर उससे भी 100 गुना अधिक प्रसन्न होते हैं नृत्य से। भगवान भोलेनाथ नृत्य के देवता हैं, इसलिए उनको नटराज भी कहा जाता है।

नृत्य प्राचीन काल से दो भागों में बंटा हुआ है। एक है लास्य- जिनके निर्माता हैं आदि शक्ति पार्वती और दूसरा है तांडव- जिनके निर्माता हैं आदि देव भगवान शिव। वीर और रौद्र रस को प्रधान रखते हुए तेज और पुरुष भावपूर्ण जो नृत्य शैली है उसको तांडव कहा जाता है। करुण और श्रृंगार रस को प्रधान रखकर कोमल स्त्री भावपूर्ण नृत्य को लास्य कहा जाता है।

भरत मुनि अपने नाट्य शास्त्र में तांडव के बारे में चर्चा करते हुए कहा हैं" श्रृंगार रस से पूर्ण सुकुमार अंग भंगिमाओं को तांडव कहते हैं।" संगीत रत्नाकर में कहा गया है "तनडू द्वारा निर्माण किया गया नृत्य ही तांडव है" शिव गण तनडू के नाम अनुसार तांडव नामकरण हुआ है।

वैसे तो कई सारे गुणी जन तांडव को भिन्न-भिन्न भागों में विभक्त किया है। तत्पश्चात मूल जो विभाग है उसके बारे में चर्चा करते हुए कहेंगे- त्रिपुरासुर का निधन करने के बाद शिव जी ने जो वीर और रौद्र रस प्रधान नृत्य किया था उसी नृत्य को तांडव कहा जाता है।" इसी नृत्य को मूल रखकर तांडव को 7 भागों में विभक्त किया गया है।

1. आनंद तांडव..

भगवान शिव जगत के कल्याण के लिए जो नृत्य करते हैं उसी को कहते हैं आनंद तांडव।

2. उमा तांडव..

शिवशंकर का भगवती उमा संग दाम्पत्य प्रणय प्रधान जो नृत्य है उसको उमा तांडव कहा जाता है।

3. संध्या तांडव..

संध्याकालीन भाव अर्थात जीवनकाल का उजाला और मृत्यु काल का अंधकार की एकत्र भाव से परिपूर्ण जो नृत्य उसको संध्या तांडव कहा जाता है।

4. गौरी तांडव..

आदिशक्ति गौरी माता के प्रति भगवान शंकर का सात्विक भावपूर्ण नृत्य ही गौरी तांडव है।

5. त्रिपुरा तांडव..

त्रिपुरासुर के अत्याचार में त्रिलोक जब पीड़ित थे तब इससे मुक्ति दिलाने के लिए भगवान शिव ने जो नृत्य किया था वही है त्रिपुरा तांडव।

6. संहार तांडव..

धरती जब पाप और अत्याचार से पीड़ित हो जाती है तब सृष्टि का नास करके के लिए और नया सृजन करने के लिए नटराज जो नृत्य करते हैं वही है संहार तांडव।

7. काली तांडव..

देवी कालिका अपने भैरव महाकाल समेत समग्र संसार को परिक्रमा पूर्वक जो नृत्य करती हैं वही है काली तांडव। शिव शक्ति की जय..।

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