सूर्य देव हैं देवताओं की आंख.. हर युग के अंत में भगवान का अवतार..
सूर्यदेव की आराधना इसलिए की जानी चाहिए कि वह मानव मात्र के सभी कामों के साक्षी हैं और उनसे हमारा कोई भी काम या व्यवहार छुपा नहीं रहता।
जीवन मंत्र.. मानें चाहे न मानें..
जनजागरुकता, धर्म डेस्क। सूर्य के बिना दुनिया अधूरी है, जीवन चलना मुश्किल है। इसलिए सूर्य को देवताओं की आंख कहा गया है। दुनिया का सबसे पुराना सनातन धर्म के ग्रंथों में बताया है सूर्य पूजा का महत्व और भविष्य में मिलने वाले लाभ को..
ऋग्वेद के अनुसार, सूर्यदेव में पापों से मुक्ति दिलाने, रोगों का नाश करने, आयु और सुख में वृद्धि करने व गरीबी दूर करने की अपार शक्ति है।
यजुर्वेद के अनुसार, सूर्यदेव की आराधना इसलिए की जानी चाहिए कि वह मानव मात्र के सभी कामों के साक्षी हैं और उनसे हमारा कोई भी काम या व्यवहार छुपा नहीं रहता।
सूर्यदेव लाख गुना कर लौटाते हैं
ब्रह्मपुराण के अनुसार, सूर्यदेव सर्वश्रेष्ठ देवता हैं। इनकी उपासना करने वाले भक्त जो सामग्री इन्हें अर्पित करते हैं, सूर्यदेव उसे लाख गुना करके लौटाते हैं।
सूर्य की किरणों में सभी देवाओं का वास
सूर्योपनिषद के अनुसार, सभी देवता, गंधर्व और ऋषि सूर्य की किरणों में वास करते हैं। सूर्यदेव की उपासना के बिना किसी का भी कल्याण संभव नहीं है। स्कंदपुराण के अनुसार, सूर्यदेव को जल चढ़ाए बिना भोजन करना पाप कर्म के समान माना जाता है।
।।ॐ आदित्याय नम:।।
कलियुग का आरंभ और अंत..
ईश्वरीय विधान है कि सभी युग के अंत में भगवान का अवतार होता और वह धर्म की स्थापना करते हैं। इसके बाद चल रहा युग समाप्त होता है और नया युग आरंभ होता है। द्वापर में धरती महान योद्धाओं की शक्ति से दहल रही थी। जनसंख्या का भार भी काफी हो गया था। अगर उस युग के योद्धाओं का अंत नहीं होता तो धरती पर शक्ति का असंतुलन हो जाता।
शक्ति का संतुलन बनाते हैं भगवान
शक्ति के संतुलन और नए युग के आरंभ के लिए श्रीकृष्ण ने अवतार धारण किया। महाभारत का महायुद्ध शक्ति के संतुलन और धर्म की स्थापना के लिए किया गया था जिसकी पटकथा स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने लिखी थी। महायुद्ध से ही कलियुग के आगमन की आहट शुरू हो गई।