सूर्य और हवा से ऊर्जा के आधार पर विराग मुनि ने की 171 दिनों की तपस्या

सूर्य की ऊर्जा और हवा के आधार पर तपस्या करते रहे विराग मुनि पर किए रिसर्च में उन्हें रिसर्चरों ने फीट बताया। सुमनदीप विद्यापीठ के जैन फिलोसॉफी एंड रिसर्च सेंटर की टीम ने उनके शरीर पर शोध किया है।

सूर्य और हवा से ऊर्जा के आधार पर विराग मुनि ने की 171 दिनों की तपस्या

रायपुर, जनजागरुकता। भारत देवभूमि है, जहां ऋषि-मुनियों का हजारों साल से त्याग, तप, तपस्या चल रही है.. उनके प्रताप से यहां के वासी सुख-शांति से जीवन व्यतीत करते हैं। इसलिए तो भारत आदिकाल से विश्व गुरु कहलाता है।

जी हां हम बात कर रहे हैं उदाहरण के तौर पर जैन मुनि विराग सागर के बारे में, जिनकी तप-तपस्या आश्चर्य में डाल दिया है, जो एक देवत्व और चमत्कार से कम नहीं है।

मुनिश्री नागपुर से उपवास शुरू कर पदयात्रा करते हुए छत्तीसगढ़ होते हुए बालाघाट में चातुर्मास के लिए रुके हैं। मुनि विराग सागर जी की तपस्या जारी है। वे 171 दिनों से केवल आधा लीटर जल ग्रहण कर उपवास पर रहे। इस दौरान उन्होंने हजार किमी की पदयात्रा भी की।

वहीं मुनिश्री विराग सागर ने 171 उपवास की तपस्या में 171 दिनों तक निर्दोष गोचरी लाने का कार्य (गुरु के लिए अनाज) किया। वहीं जिनवाणी सुने। तपस्या के दौरान 171 से ज्यादा शहर और गांव में जिन शासन की प्रभावना की। कई मंदिर की प्रतिष्ठा दीक्षा आदि में निश्रा की। वहीं शुद्ध क्रिया से संयम की खुशबू बिखेरी। उपवास की तपस्या में निरंतर गुरु सेवा की पूर्णता को भी पूरा किए।

हर पीढ़ी को जोड़ने का कार्य किया

जैन धर्म के अनुयायियों के अनुसार मुनि विराग सागर जी 171 उपवास से भी ज्यादा जा सकते थे, पर भगवान महावीर की तपस्या से आगे नहीं बढ़ने का निर्णय लिया गया। बता दें कि महावीर स्वामी ने 5 महीने 25 दिनों तक इस तरह का उपवास रखा था। इस तपस्या में मुनि विराग सागर ने जिन शासन की सेवा में लगातार हर पीढ़ी को जोड़ने का कार्य किया, वहीं परमात्मा महावीर का मार्ग बताया। उनकी खूब अनुमोदना की गई।

 

उम्र 47 है, पर 18 से 20 वर्ष के युवा की ऊर्जा

सूर्य की ऊर्जा और हवा के आधार पर तपस्या करते रहे विराग मुनि पर किए रिसर्च में उन्हें रिसर्चरों ने फीट बताया। सुमनदीप विद्यापीठ के जैन फिलोसॉफी एंड रिसर्च सेंटर की टीम के डॉ. आशीष शाह, डॉ. घनश्याम परमार्थ, डॉ. डीसी जैन ने विराग मुनि पर रिसर्च करने के लिए फिजिकल और बॉयोकेमिकल टेस्ट किए। रिपोर्ट में उन्हें पूरी तरह से फिट बताया गया। उनकी उम्र 47 है, लेकिन बीएमआई रिपोर्ट में यह बताया गया है कि उनकी ऊर्जा तकरीबन, 18 से 20 वर्ष के युवा की तरह है। वहीं गच्छाधिपति जिन मणिप्रभ सुरीश्वर जी ने मुनिश्री विराग सागर को तप चक्रवर्ती कहा है।

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