आगाह.. अगर ऐसा हुआ तो जल संकट की त्रासदी झेलनी होगी

दुनिया पर जल संकट गहराने लगा है। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जल का बड़ा स्रोत आधी से ज्यादा बड़ी झीलें सूखने लगी हैं।

आगाह.. अगर ऐसा हुआ तो जल संकट की त्रासदी झेलनी होगी

जनजागरुकता, आगाह। प्रकृति से खिलवाड़ या कहें प्रकृति के विपरीत काम करने से मनुष्यों को इसकी सजा भुगतनी होती है। आदिकाल से अब तक देखें तो अनेक उदाहरण सामने आ चुके हैं। इसमें मानव जीवन पर खतरा उत्पन्न हुआ है.. इस दौरान लाखों लोगों की जान भी गई..

ऐसा ही एक खतरा भविष्य में मंडराने लगा है, वो है बेशकीमती जल.. जी हां.. बिन पानी सब सुन.. की कहावत सच साबित हो सकती है.. अगर हम समय से पहले नहीं संभले तो..। दुनिया पर जल संकट गहराने लगा है। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जल का बड़ा स्रोत आधी से ज्यादा बड़ी झीलें सूखने लगी हैं। ऐसे में धरती के अरबों लोगों का जीवन खतरे में है।

25 प्रतिशत आबादी झीलों पर निर्भर

प्रोफेसर राजगोपालन की रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि दुनिया की लगभग 25 प्रतिशत आबादी झीलों पर निर्भर है। जो लगातार सूख रही है। अलग-अलग रिपोर्टों में खुलासा हो चुका है कि धीरे-धीरे पूरी दुनिया जल संकट की तरफ बढ़ रही है। यहां तक बड़ी बात यह है कि सूखा क्षेत्र में तो जल स्तर घटा ही है, जहां ज्यादा बारिश हुई उन इलाकों के जलाशयों में भी पानी की कमी हुई है।

वैज्ञानिक की नजर नदियों की बिगड़ती हालत पर

न्यूज एजेंसी एएफपी के अनुसार ये अध्ययन कोलोराडो बोल्डर विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर और पेपर के सह-लेखक ने किया है। प्रोफेसर के मुताबिक दुनियाभर के वैज्ञानिक नदियों की बिगड़ती हालत पर नजर बनाए हुए है, बावजूद खास कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। तीन दशक के आंकड़े व जांच में सामने आया कि 53 प्रतिशत झीलों और जलाशयों के पानी में लगभग 22 गीगाटन वार्षिक दर से गिरावट आई है। ऐसे में भविष्य में मानव को जल के लिए जूझना पड़ेगा।

झीलों और जलाशयों का जल तेजी से घट रहा

एक और अध्ययन में दावा किया गया है कि दुनिया के सबसे बड़ी झीलों और जलाशयों का जल स्तर तेजी से घट रहा है और वो सूखने की कगार की तरफ बढ़ रही है जिससे हर किसी को जल संकट की त्रासदी झेलनी होगी। प्रोफेसर राजगोपालन ने रिपोर्ट में कहा कि चौंकाने वाली बात ये है कि दुनिया की लगभग 25 प्रतिशत आबादी झीलों के बेसिन में रह रही है और जो लगातार सूख रही है।

3 दशक का अध्ययन, इन झीलों ने दिया संकेत

रिपोर्ट के मुताबिक अरल (Aral Sea) और कैस्पियन सागर (Caspian Sea) जैसी बड़ी झीलों में आई आपदाओं ने इस संकट का संकेत दे दिया है। दरअसल जिस टीम ने इसका अध्ययन किया उसमें अमेरिका, सऊदी अरब और फ्रांस के वैज्ञानिक शामिल थे। टीम ने 1992 से 2020 तक सेटेलाइट तस्वीरों की मदद ली। इसमें 1,972 सबसे बड़ी झीलों और जलाशयों की जांच की। इसमें झीलों में 30 साल में पानी की मात्रा में कैसे और कितना अंतर आया है। जांच में पता चला कि 53 प्रतिशत झीलों और जलाशयों के पानी की में लगभग 22 गीगाटन वार्षिक दर से गिरावट दर्ज की गई।

जल संकट के ये कारण भी

जनरल बात करें तो तापमान बढ़ने से पानी भाप के रूप में उड़ जाता है। वहीं कुछ जगहों पर बारिश भी कम हो गई है। दूसरी ओर घटते जलस्तर के कारणों की बात करें तो अध्ययन के अनुसार इसके लिए ग्लोबल वार्मिंग भी एक वजह है। साथ ही पानी की कमी के कारण इंसानों में बढ़ती जल की खपत भी जिम्मेदार है।

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