चीन के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया में सबसे बड़ा युद्धाभ्यास, भारत है ऑब्जर्वर
दुनियाभर के देश एकजुटता के साथ चीन से सामना करने की तैयारी कर रहा है। इसी के तहत इसमें अमेरिका समेत 11 देशों के 30 हजार से ज्यादा सैनिक हिस्सा ले रहे हैं।
नई दिल्ली, जनजागरुकता। दुनिया में चीन के प्रति नाराजगी बढ़ती जा रही है, इसका कारण ड्रैगन का किसी भी देश के साथ दबावपूर्ण व्यवहार है, ऐसे में दुनियाभर के देश एकजुटता के साथ चीन से सामना करने की तैयारी कर रहा है।
इसी के तहत ऑस्ट्रेलिया में सबसे बड़ा युद्धाभ्यास शुरू हो गया है। इसमें अमेरिका समेत 11 देशों के 30 हजार से ज्यादा सैनिक हिस्सा ले रहे हैं। तलिसमन सेब्रे नाम से जाने जाने वाले इस युद्धाभ्यास के भारत समेत चार देश ऑब्जर्वर हैं।
खासियत ये है कि अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया विवादित ताइवान स्ट्रेट में भी युद्धाभ्यास करेंगे। बता दें यहीं पर चीन ने बीते दिनों युद्धाभ्यास किया था। ऐसे में माना जा रहा है कि ऑस्ट्रेलिया अमेरिका के ताइवान स्ट्रेट में युद्धाभ्यास से चीन नाराज हो सकता है। इधर चीन ने इस युद्धाभ्यास पर निशाना साधा है। वहां के एक सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के लेख में इस युद्धाभ्यास को कागज का शेर बताया है।
बेहद अहम है यह युद्धाभ्यास
युद्धाभ्यास को लेकर माना जा रहा है कि चीन की चुनौतियों से निपटने के तौर पर देखा जा रहा है। जानकारी अनुसार चीन लगातार हिंद प्रशांत महासागर क्षेत्र में अपनी मौजूदगी को बढ़ा रहा है, यही वजह है कि इस युद्धाभ्यास को बेहद अहम माना जा रहा है।
इन देशों की भागीदारी
खास बात ये है कि अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया विवादित ताइवान स्ट्रेट में भी युद्धाभ्यास करेंगे।ऑस्ट्रेलिया में विभिन्न स्थानों पर हो रहे इस युद्धाभ्यास में ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका के साथ ही फिजी, फ्रांस, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैंड, पापुआ न्यू गिनी, टोंगा, ब्रिटेन, कनाडा और जर्मनी के सैनिक हिस्सा ले रहे हैं। वहीं भारत, सिंगापुर, फिलीपींस और थाइलैंड इस युद्धाभ्यास के ऑब्जर्वर हैं। बता दें कि चीन ने बीते दिनों युद्धाभ्यास किया था। ताइवान स्ट्रेट में युद्धाभ्यास से चीन नाराज हो सकता है।
बेहद अहम है हिंद प्रशांत महासागर की सुरक्षा
दुनिया का 80 प्रतिशत व्यापार इसी क्षेत्र से होता है। ऐसे में अगर इस क्षेत्र में अस्थिरता या सुरक्षा को लेकर कोई दिक्कत होती है तो इसका असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। सप्लाई चेन टूट जाएगी। उल्लेखनीय है कि हिंद प्रशांत महासागर वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए बेहद अहम है।
चीन की तिलमिलाहट, युद्धाभ्यास पर कसा तंग
यह युद्धाभ्यास हर दो साल में होता है और साल 2005 से इसकी शुरुआत हुई थी। इस साल यह युद्धाभ्यास इसलिए खास है क्योंकि इस बार का युद्धाभ्यास सबसे बड़ा है। इधर चीन की तिलमिलाहट बढ़ती जा रही है। युद्धाभ्यास पर चीन ने सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के माध्यम से अपनी प्रतिक्रिया दी है। एक लेख में इस युद्धाभ्यास को कागज का शेर बताया है। चीनी विशेषज्ञों का आरोप है कि अमेरिका सुरक्षा और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के नाम पर देशों पर दबाव बना रहा है और इसका लाभ उठाना चाहता है।