भारत जोड़ो यात्राः आज और कल आराम, कर्नाटक में दशहरा के बाद होगी सबसे लंबी यात्रा
कांग्रेस कर्नाटक में अपने लिए बेहतर उम्मीद की किरण देख रही है। यही वजह है कि इस पूरी यात्रा में पार्टी ने जिन दो राज्यों में अपना सबसे लंबा शेड्यूल रखा है।
कर्नाटक, जनजागरुकता डेस्क। कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा जारी है। अभी पड़ाव कर्नाटक में है। दशहरा त्योहार को देखते हुए आज मंगलवार और कल बुधवार को यात्रा स्थगित की गई है। यात्रा से जुड़े कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता दो दिन आराम करेंगे। कांग्रेस की कर्नाटक में सबसे लंबी यात्रा होगी।
यहां कांग्रेस अपने लिए बेहतर उम्मीद की किरण देख रही है। यही वजह है कि इस पूरी यात्रा में पार्टी ने जिन दो राज्यों में अपना सबसे लंबा शेड्यूल रखा है, उनमें कर्नाटक भी है। यहां यात्रा 20 दिन गुजारेगी। हालांकि, पहले यात्रा 22 दिन रखने वाली थी लेकिन यात्रा के रास्ते में पड़ने वाले जंगलों और पहाड़ों को देखते हुए इसके रूट में दो दिन का बदलाव किया गया है।
राज्य में कांग्रेस की इस लंबी कवायद के पीछे वजह अगले साल की शुरुआत में होने वाला चुनाव माना जा रहा है। यहां से पार्टी अपने लिए किस तरह से उम्मीदें तलाश रही है, इसका एक अंदाजा उसके उस युद्धघोष से सामने आता है, जहां उसका दावा है कि ‘अबकी बार, कांग्रेस 150 पार’। कांग्रेस ने अगर बीजेपी की तर्ज पर यह नारा दिया है तो उसके पीछे वह कई अहम कारक देख रही है।
सियासी समीकरण राज्य में कांग्रेस की यात्रा दक्षिण कर्नाटक से होकर गुजरेगी। यात्रा सात जिलों की सात संसदीय सीटों चामराजनगर, मैसुरू, मांड्या, तुमकुर, चित्रदुर्ग, बेल्लारी और रायचूर से होकर गुजरेगी। रायचूर से यात्रा तेलंगाना में प्रवेश कर जाएगी। इन सात संसदीय इलाकों में कम से कम 21 विधानसभा सीटें आती हैं।
2018 के चुनाव में 224 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस ने 80 सीटें, बीजेपी ने 104 सीटें, जेडीएस ने 30सीटें जीती थी। निर्दलीयों के पास 5 सीटें थीं लेकिन इस बीच कांग्रेस के कई विधायकों के पार्टी छोड़ने के चलते हुए उपचुनावों के बाद आज संख्या बल के लिहाज से बीजेपी 120 तो कांग्रेस 69 पर पहुंच चुकी है।
दक्षिणी कर्नाटक का यह पूरा हिस्सा वोक्कालिंगा समुदाय का गढ़ माना जाता है। जो मूल रूप से जेडीएस से जुड़ा है। ऐसे में जेडीएस का हिस्सा पाने के लिए कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही अपनी अपनी निगाहें लगाए बैठी हैं। खासकर मैसूर इलाके में पारंपरिक रूप से लड़ाई कांग्रेस और जेडीएस के बीच में है। हालांकि, यहां बीजेपी अपना पैर जमाने की कोशिश कर रही है, लेकिन वह ज्यादा सफल नहीं हो पा रही।