कोयला घोटाला- छत्तीसगढ़ में 1995 से 2005 के बीच का मामला, स्पेशल कोर्ट का फैसला, 6 दोषी करार

स्पेशल कोर्ट ने घोटाले में पूर्व सांसद सहित 6 लोगों को दोषी माना है। दोषियों में पूर्व राज्य सभा सांसद विजय दर्डा, उनका बेटा देवेंद्र, पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता, दो वरिष्ठ नौकरशाह केएस क्रोफा व केसी समारिया और मैसर्स व निदेशक मनोज कुमार जायसवाल शामिल हैं।

कोयला घोटाला- छत्तीसगढ़ में 1995 से 2005 के बीच का मामला, स्पेशल कोर्ट का फैसला, 6 दोषी करार
file photo

नई दिल्ली, जनजागरुकता डेस्क। छत्तीसगढ़ में 1995 से 2005 के बीच 4 कोल ब्लॉक आवंटन की बात छिपाकर कोयले में भारी अनियमितता की गई थी। गड़बड़ी में सीबीआई की जांच व चार्जसीट दाखिल करने के 7 साल बाद फैसला आया है। स्पेशल कोर्ट ने घोटाले में पूर्व सांसद सहित 6 लोगों को दोषी माना है। 

मामले में छत्तीसगढ़ में उस दौरान फतेहपुर ईस्ट कोल ब्लॉक आवंटित किया गया था। यह आवंटन तत्कालीन राज्यसभा सांसद विजय दर्डा के तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह को लिखे सिफारिशी पत्र के आधार पर किया गया था। पर पहले से कोयला खनन करने की जानकारी छिपाकर नया खदान आवंटित करा दिया गया।

विपक्षी दलों ने जब Coal Scam मामला उठाया तो सीबीआई की जांच में शिकायत सही पाई गई। स्पेशल कोर्ट ने मामले में 10 नवंबर, 2016 को आरोप तय किया था। अब जाकर IPC की धारा 120बी, 420 (धोखाधड़ी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की कई धाराओं में 6 लोगों को दोषी माना है। 

दोषियों में पूर्व राज्य सभा सांसद विजय दर्डा, उनके बेटे देवेंद्र दर्डा, पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता, दो वरिष्ठ नौकरशाह केएस क्रोफा व केसी समारिया और मैसर्स जेएलडी यवतमाल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी व उसके निदेशक मनोज कुमार जायसवाल शामिल हैं। दिल्ली की विशेष अदालत इस मामले में सभी दोषियों की सजा पर 18 जुलाई को फैसला सुनाएगी। 

स्पेशल कोर्ट ने गुरुवार को इस मामले में सभी छह आरोपियों को दोषी घोषित किया है। इन सभी को कोर्ट ने मामले में आईपीसी की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 420 (धोखाधड़ी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की कई धाराओं के तहत दोषी करार दिया है। बता दें कि उस दौरान इस मामले में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का नाम भी चर्चा में रहा था, क्योंकि यह घोटाला होने के दौरान कोयला मंत्रालय का प्रभार भी उन्हीं के पास था।

ये हैं इस मामले के दोषियों में शामिल

स्पेशल कोर्ट ने कोल ब्लॉक घोटाले देवेंद्र दर्डा, पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता, दो वरिष्ठ नौकरशाह केएस क्रोफा व केसी समारिया और मैसर्स जेएलडी यवतमाल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी व उसके निदेशक मनोज कुमार जायसवाल शामिल हैं।

कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला का ये है पूरा मामला

सीबीआई की दाखिल चार्जसीट के अनुसार जेएलडी यवतमाल कंपनी को छत्तीसगढ़ में फतेहपुर ईस्ट कोल ब्लॉक आवंटित किया गया था। यह आवंटन तत्कालीन राज्यसभा सांसद विजय दर्डा के तत्कालीन पीएम नमोहन सिंह को लिखे सिफारिशी पत्र के आधार पर किया गया था। उसके बाद अनियमितताएं बरतने का आरोप विपक्षी दलों ने लगाया था। मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। सीबीआई ने एफआईआर में दर्ज किया था कि पूर्व सांसद विजय दर्डा ने अपने पत्र में तथ्यों को छिपाया था। यह काम जेएलडी यवतमाल समूह को फतेहपुर ईस्ट कोल ब्लॉक आवंटित कराने के लिए किया। सीबीआई के मुताबिक, यवतमाल समूह की कंपनियों को 1995-2005 के बीच चार कोल ब्लॉक आवंटन की बात छिपाई गई। इससे कोल ब्लॉक आवंटन में अनियमितता हुई थी।सीबीआई की चार्जशीट दाखिल करने पर कोर्ट ने सभी को बतौर आरोपी पेश होने का निर्देश दिया था। साल 2016 में आरोप तय करते हुए कोर्ट ने कहा था कि पहली नजर में यह निजी लोगों की सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर की गई धोखाधड़ी दिख रही है।

janjaagrukta.com