विपक्षी दलों का जमावड़ा 13-14 जुलाई को बेंगलुरु में

राजनीतिक दलों का केंद्र सरकार को चुनौती देने पर अंतिम सहमति बनी है। इसमें विपक्षी एकता के भविष्य का फॉर्मूला आकार लेने की उम्मीद है।

विपक्षी दलों का जमावड़ा 13-14 जुलाई को बेंगलुरु में

नई दिल्ली, जनजागरुकता डेस्क। विपक्षी दलों का 13-14 जुलाई को बेंगलुरु में  राजनीतिक दलों का जमावड़ा लगेगा। राजनीतिक दलों का केंद्र सरकार को चुनौती देने पर अंतिम सहमति बनी है। इसमें विपक्षी एकता के भविष्य का फॉर्मूला आकार लेने की उम्मीद है। 

शरद पवार ने बताया कि विपक्ष की अगली बैठक बेंगलुरु में होगी। यह बैठक पटना में हुई पिछली बैठक में आए दलों के नेताओं की सहमति से हो रही है। इसमें एनसीपी, राजद, जद(यू), झामुमो, शिवसेना(यूटीबी), डीएमके, वामदल, समाजवादी पार्टी, एनसी, पीडीपी, तृणमूल समेत अन्य की सहमति है। माना जा रहा है कि इस बैठक में विपक्षी एकता के भविष्य का फॉर्मूला एक आकार ले लेगा।

पहले शिमला को चुना गया

विपक्षी एकता की कवायद के बीच विपक्षी दलों की अहम बैठक 13 और 14 जुलाई को होगी। शरद पवार ने इसके बारे में जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि विपक्ष की अगली बैठक बेंगलुरू में होगी। इससे पहले, कहा जा रहा था कि बैठक 10 या 12 जुलाई को होगी। इतना ही नहीं, बैठक के लिए हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला को चुना गया था। वही, बीच में बैठक के शिमला की जगह जयपुर में आयोजित किए जाने की खबर भी सामने आई थी।

 

महाबैठक ही 2024 के लोस चुनाव में जीत की नींव रखेगी

इस बीच, हिमाचल कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने दावा किया था कि यह महाबैठक ही 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत की नींव रखेगी। 1998 से 2003 तक देश में एनडीए की सरकार थी, तब एनडीए को सत्ता से बाहर करने के लिए शिमला में कांग्रेस का चिंतन शिविर हुआ था। इसका फायदा कांग्रेस को मिला था।

राष्ट्रीय कन्वेनर के नाम पर बन सकती है सहमति

पटना बैठक में ही गठबंधन के एक महत्त्वपूर्ण सहयोगी ने गठबंधन के नाम और उसके सहयोगी को लेकर एक संकेत दे दिया था। यदि किसी विपक्षी दल को इस पर आपत्ति न हुई तो शिमला बैठक के बाद इसकी औपचारिक तौर पर घोषणा की जा सकती है। इससे पहले 23 जून को बैठक में विपक्षी दलों ने एक होकर भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार को चुनौती देने पर अंतिम सहमति बना ली गई थी। अब 14 जुलाई को बैठक में इस पर विस्तृत चर्चा के बाद गठबंधन के नाम और इसके राष्ट्रीय कन्वेनर के नाम पर सहमति बन सकती है। हालांकि, इससे पहले ही यह चर्चा तेज हो गई है।

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