रेलवे में बंद होगी कागज की टिकट, पूरी तरह डिजिटल से लैस होगा
इसके पीछे रेलवे का मुख्य मकसद दो साल के भीतर पूरी तरह डिजिटल करने की तैयारी है। इस दिशा में रेल मंत्रालय तेजी से काम कर रहा है।
नई दिल्ली, जनजागरुकता डेस्क। भारतीय रेलवे के सभी पांच प्रिंटिंग प्रेस बंद करने का फैसला किया गया है। इस बीच रेल के टिकट व रसीदें छापने का काम बाहर से करवाया जाएगा। इसके पीछे रेलवे का मुख्य मकसद दो साल के भीतर पूरी तरह डिजिटल करने की तैयारी है। इस दिशा में रेल मंत्रालय तेजी से काम कर रहा है। जल्द ही इसे अंतिम रुप दे दिया जाएगा।
पांच प्रिंटिंग प्रेस को बंद करने का निर्णय
चरणबद्ध तरीके से भारतीय रेलवे के टिकट सिस्टम को डिजिटल किया जाएगा। इसके तहत चल रहे रेलवे के सभी पांच प्रिंटिंग प्रेस को बंद करने का अंतिम निर्णय ले लिया गया है। डिजिटल होते तक रेल के टिकट व रसीदें बाहर छपवाई जाएगी । डिजिटल होने से फर्जी रेल टिकट बिकना बंद हो जाएगा। इससे सबसे बड़ा फायदा लोगों को होगा। रेल यात्रियों को टिकट दलालों के व्दारा चूना लगाना आसान नहीं होगा। इस संबंध में रेलवे बोर्ड ने तीन मई को सभी जोनल रेलवे के महाप्रबंधकों को निर्देश जारी कर दिए हैं। बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बाइकुला-मुंबई, हावड़ा, शकूरबस्ती-दिल्ली, रोयापुर-चैन्नई व सिकंदराबाद स्थित रेलवे के प्रिंटिंग प्रेस बंद करने का फैसला किया गया है। यहां पर रेलवे के आरक्षित व अनारक्षित टिकट के अलावा कैश रसीद बुक सहित 46 प्रकार के मनी वैल्यू दस्तावेजों को छापा जाता है।
देशभर में 74 प्रिंटिंग प्रेस
रेल अधिकारियों ने बताया,19 फीसदी काउंटर टिकट की छपाई का अधिकांश काम बाहर से हो रहा है। देशभर में लगभग 74 प्रिंटिंग प्रेस हैं,यहां रेलवे के 95 फीसदी रेल टिकट छप रहे हैं। रेलवे के अपने पांच प्रिंटिंग प्रेस में सिर्फ पांच फीसदी छपाई हो रही है। इसके अलावा रेलवे प्रिंटिंग प्रेस में टिकट छपाई मंहगी होती है।
81 फीसदी यात्री कर रहे है ऑनलाइन ई-टिकट बुक
अधिकारी ने बताया, रेलवे प्रिंटिंग प्रेस को बंद करने का सैद्धांतिक फैसला मई 2019 में ले लिया गया था। अब इस पर अमल किया जा रहा है। इस बीच रेल टिकट व अन्य दस्तावेज आईबीएस व आरबीआई के अधिकृत प्रिंटिंग प्रेस में छपेंगे। वर्तमान में 81 फीसदी यात्री ऑनलाइन ई-टिकट बुक कर रहे हैं। जबकि 19 फीसदी टिकट काउंटरों से खरीदे जा रहे हैं।