राहत भरी खबर- पता चल जाएगा कि दवा नकली है, या असली
केंद्र की नई पहल से बाजार में नकली कॉम्बिफ्लेम, कैलपोल और डोलो-650 जैसी दवाइयां अब नहीं बिक पाएंगी।
नई दिल्ली, जनजागरुकता डेस्क। दवाओं के मामले में केंद्र नया कदम उठाने जा रही है। नकली दवाओं की अब पहचान करने में आसानी होगी। देश में ऐसा प्रयास राहत भरी खबर है। नए इंतजार से बाजार में नकली दवाइयां नहीं बिक पाएंगी। क्योंकि दवाओं को बेहतर ढंग से ट्रैक और ट्रेस किया जा सकेगा।
बता दें कि ऐसा करने के लिए देश की टॉप 300 फार्मा ब्रांड्स पर क्यूआर कोड या बारकोड लगाना सरकार ने अनिवार्य कर दिया गया है। अगस्त या इसके बाद बनने वाली दवाईयों के लिए आदेश जारी कर दिया गया है। नए आदेश अनुसार सभी घरेलू और विदेशी कंपनियां, जो 300 दवाओं का फॉर्मूलेशन ब्रांड्स बनाती हैं, उनके लिए अपनी दवा पर क्यूआर कोड लगाना अनिवार्य किया गया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिया था आदेश
स्वास्थ्य मंत्रालय ने फार्मास्यूटिकल्स विभाग को उन 300 दवा ब्रांडों को शॉर्टलिस्ट करने के लिए मार्च 2022 में कहा था, जिन्हें अनिवार्य QR कोड के कार्यान्वयन के लिए शामिल किया जा सकता है। उसके बाद नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) ने 300 दवाओं की सूची की पहचान की थी। अधिक बिकने वाले ब्रांडों को उनके मूविंग एनुअल टर्नओवर (MAT) मूल्य के आधार पर शॉर्टलिस्ट किया गया है।
कुछ दवाइयों के ये है नाम
केंद्र के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार जिन दवाओं पर क्यूआर कोड अनिवार्य किया गया है, उनमें कैलपोल, डोलो, सेरिडॉन, कॉम्बिफ्लेम और एंटीबायोटिक्स एजिथ्रल, ऑगमेंटिन, सेफ्टम से लेकर एंटी-एलर्जी दवा एलेग्रा और थॉयराइड दवा थायरोनॉर्म भी शामिल हैं।
ऐसा करने से ये होगी सुविधा
मामले पर दवा इंडस्ट्री जानकारों का कहना है कि इस तरह के कदम से देश में घटिया या नकली दवाओं की बिक्री पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी। दवाओं पर क्यूआर कोड लगाने का ड्राफ्ट नोटिफिकेशन्स पिछले साल नवंबर में जारी किया गया था। इसमें खासियत ये है कि क्यूआर कोड जरूरत पड़ने पर बैच को सफलतापूर्वक वापस बुलाने जैसे ट्रैकिंग और ट्रेसिंग में मदद तो करेगा ही साथ ही इससे नकली दवाओं की पहचान करने में भी मदद मिलेगी।
ये जानकारी होगी कोड में
क्यूआर कोड के संग्रहित डेटा या जानकारी में किसी उत्पाद का पहचान कोड (Product identification code), दवा का सही और जेनरिक नाम, ब्रांड का नाम, निर्माता का नाम और पता, बैच नंबर, निर्माण की तारीख, समाप्ति की तारीख (Date of expiry) और मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस नंबर शामिल होंगे।