आतंकी संगठन तैयार कर रहे हैं नाबालिग आतंकी, खुफिया एजेंसियों के लिए बड़ा खतरा
आतंकी संगठनों की नई साजिश चल रही है। पैसों का लालच देकर नाबालिगों को आतंकी बना रहे हैं। ये बम तैयार करने, आईईडी बनाने के अलावा इंटरनेट के एक्सपर्ट होते हैं।
नई दिल्ली, जनजागरुकता डेस्क। देश में हमलों के लिए कई आतंकी संगठन नाबालिगों को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। जो दुनिया के अलावा सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती बनी हुई है। आतंकी हमलों को अंजाम देने के लिए बाकायदा नाबालिगों को हर तरह की ट्रेनिंग देकर तैयार किए जा रहे हैं, ताकि एक बार में 15-20 लोगों को मारा जा सके।
सुरक्षा एजेंसियों की रडार पर आने वाले ज्यादातर आतंकी 18 साल से कम उम्र के हैं। ऐसे आतंकी छोटे समूहों में देशभर में कहीं भी हो सकते हैं। खुफिया एजेंसियों के लिए ये सबसे बड़ी चुनौती हो सकती है।
खास बात ये है कि ये नाबालिग बेहद खतरनाक साबित हो सकते हैं। ये सीरिया और अफगानिस्तान में स्थित हैंडलर्स के संपर्क में बने रहते हैं। वहीं बम तैयार करने, विस्फोटक और आईईडी बनाने के अलावा इंटरनेट के एक्सपर्ट होते हैं। टेक्निकल में हर तरह की जानकारी इन्हें आसानी से मिल जाती है।
खुफिया एजेंसियों की रडार से बचने नाबालिग चुनते हैं
ज्यादातर आतंकी समूह सोशल मीडिया के जरिए इन्हें पहचानते हैं। इन नाबालिगों को पैसे और प्रसिद्धि के लालच में काम करने को प्रेरित किया जाता है। खुफिया एजेंसियों के रडार से बचने के लिए उन्हें जानबूझकर चुना जाता है। वहीं कानूनन उन्हें मामूली सजा मिलती है।
आतंकी बनाने से पहले बनाते हैं ड्रग्स पैडलर्स
आतंकी समूह इन किशोरों की ऑनलाइन पहचान आसानी से कर लेते हैं। कई बार हैंडलर इन किशोरों से सीधे व्हाट्सएप पर संपर्क साधने की कोशिश करते हैं। उन्हें पहले नशीले पदार्थों से जोड़ा जाता है। इन्हें ड्रग्स पैडलर्स के तौर पर उपयोग किया जाता है। पैसे की लत लगाकर इनका आगे उपयोग किया जाता है।
पैसे और प्रसिद्धि के लालच के साथ करते हैं प्रेरित
ज्यादातर आतंकी समूह सोशल मीडिया के जरिए इन्हें पहचानते हैं। इन लड़कों को पैसे और प्रसिद्धि के लालच में काम करने के लिए प्रेरित किया जाता है। इसका कारण है कि इस मामले में किशोर बड़ी आसानी से ऑनलाइन कट्टरता का शिकार हो जाते हैं। उन्हें आतंकवादी गतिविधियों को लेकर प्रेरित और वफादार ओवर ग्राउंड वर्कर्स के रूप में देखा जाता है।