वेदों से हुई साइंस के सिद्धांतों की उत्पत्ति.. पर पश्चिमी देशों ने अपनी खोज बताया- इसरो चेयरमैन

उक्त दावा इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (इसरो) के चेयरमैन एस सोमनाथ उज्जैन में महर्षि पाणिनी संस्कृत और वैदिक यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में किए।

वेदों से हुई साइंस के सिद्धांतों की उत्पत्ति.. पर पश्चिमी देशों ने अपनी खोज बताया- इसरो चेयरमैन

उज्जैन, जनजागरुकता डेस्क। अंतरिक्ष विज्ञान, चिकित्सा, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान आदि संस्कृत भाषा में लिखे गए थे। अंतरिक्ष विज्ञान पर एक किताब है सूर्य सिद्धांत, यह किताब आठवीं शताब्दी की मानी जाती है और एक रॉकेट साइंस होने के नाते, मैं ये जानकर काफी आश्चर्यचकित हुआ कि उस किताब में सौर ऊर्जा और टाइम स्केल के बारे में बताया गया था। पर हजारों साल पहले वेदों से मिले विज्ञान के सिद्धांत, पश्चिमी देशों ने सिर्फ इन्हें अपनी खोज बताया है। 

उक्त दावा इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (इसरो) के चेयरमैन एस सोमनाथ उज्जैन में महर्षि पाणिनी संस्कृत और वैदिक यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में किए। सोमनाथ ने आगे कहा कि अलजेबरा, स्कवायर रूट, समय के सिद्धांत, आर्किटेक्चर, मेटालर्जी यहां तक की अंतरिक्ष विज्ञान के सिद्धांत भी वेदों से मिले थे।

अलग स्वरूप में पेश कर उन्हें अपना बता दिया

कंप्यूटर की भाषा भी संस्कृत है। इसरो चेयरमैन ने कहा कि संस्कृत भाषा वैज्ञानिक विचारों को आगे बढ़ाने में इस्तेमाल की जाती थी। उन्होंने आगे बताया कि संस्कृत भाषा वैज्ञानिक विचारों को आगे बढ़ाने में इस्तेमाल की जाती थी। दावा किया कि अरब देशों से होते हुए विज्ञान के ये सिद्धांत पश्चिमी देश पहुंचे, जहां उन्होंने भारत के संस्कृत के इन सिद्धांतों को अलग स्वरूप में पेश कर उन्हें अपना बता दिया!

उस समय के वैज्ञानिक संस्कृत का इस्तेमाल करते थे

उज्जैन में महर्षि पाणिनी संस्कृत और वैदिक यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में एस सोमनाथ ने अपने संबोधन में ये भी कहा कि उस समय के वैज्ञानिकों द्वारा संस्कृत भाषा का इस्तेमाल किया जाता था और इसके कोई लिखित दस्तावेज नहीं थे। लोग सुनकर इसे सीखते थे, जिसकी वजह से यह भाषा आज तक बची हुई है। 

कंप्यूटर और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के लिए संस्कृत बेस्ट

इसरो चेयरमैन ने यह भी बताया कि जो लोग कंप्यूटर और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस सीखना चाहते हैं, उनके लिए संस्कृत भाषा काफी फायदेमंद साबित हो सकती है। एस सोमनाथ ने कहा कि संस्कृत भाषा में लिखा भारतीय साहित्य दार्शनिक तौर पर काफी समृद्ध है। संस्कृत में संस्कृति, धर्म और विज्ञान के अध्ययन में ज्यादा अंतर नहीं है। 

आठवीं सदी की किताब में सौर ऊर्जा और टाइम स्केल की जानकारी

यह जानकर सबको आश्चर्य होगा कि अंतरिक्ष विज्ञान, चिकित्सा, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान आदि संस्कृत भाषा में लिखे गए थे, लेकिन अभी तक इस पर ज्यादा रिसर्च नहीं हुई है। अंतरिक्ष विज्ञान पर एक किताब है सूर्य सिद्धांत, जो आठवीं शताब्दी की मानी जाती है। सोमनाथ ने कहा कि एक रॉकेट साइंस होने के नाते, मैं ये जानकर आश्चर्यचकित हुआ कि उस किताब में सौर ऊर्जा और टाइम स्केल के बारे में बताया गया था।

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